भीड़ नहीं , आज़ाद बनेंगे। भेड़ नहीं. शेर बनेंगे। .. भय और लालच से गुमराह नहीं , अपने सत्य हम खुद परखेंगे। .. डर और नफरत की चाशनी नहीं , शक्ति और प्रेम का सोमरस चखेंगें। .. आँख मूँदकर और अहंकार से बँधकर नहीं , हर जायज़ विरोध सुनेंगें और बिना डरे हर बात कहेंगे। .. सबका स्वागत है , पर अगर कोई साथ नहीं, अपनी राह पर अकेले चलेंगें। .. भीड़ नहीं , आज़ाद बनेंगे। भेड़ नहीं. शेर बनेंगे। ............................................ .............................................. (fly ,flyfreely ,flyfreelyhindi , shayari , deep , hindi , poem ,kavita ,love )