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आखिर एक कहानी ही हैं हम...

कितनी कहानियां हमें सुनाई जाती हैं। कैसा होता है साधारण जीवन। क्या होता है आदर्श आचरण । क्या हैं सुख और दुख के कारण । किस को इज्जत मिलती है , और क्या है आम चलन । अपनी किस पहचान की रक्षा करनी , और किस पहचान का दमन । कहानियों को जीते हैं, कहानियों में रहते हैं । कहानियां बनाते हैं, कहानियों से बनते हैं । खुद को कहानी बदलती है और कहानियों को हम । अपनी कहानी बनाने में रखना ख्याल कि , कहीं ये कहानियां बढ़ा तो नहीं रही चिंता और गम । और आखिरी बात यही समझने वाली कि आखिर एक कहानी ही है हम ।